Saturday, 17 December 2011

नासमज़

कौन कहता है की आप हमे नहीं चाहती
शोले बरसती है आपकी आंखे
तो उनकी भी जुबां होती है
क्या कहू
अपने अपने प्यार के तरीके होते है
आप जलाती हो , हम जलते है


कौन कहता  है की आप हमसे बाते  नहीं करती
जब आप चुपके से चली जाती हो
तो वो चुपकी भी कुछ दोहराती है
क्या कहू
अपने अपने बताने के तरीके होते है
आपकी चुपकी बाते करती है
हम आपकी चुपकी मैं ही समज लेते है

कौन कहता है की आप हमसे मिलना नहीं चाहती
जब आप मिलने के लिए ना कर देती  हो
तो वोह ना भी कुछ समाजाती है
क्या कहू अपने अपने तरीके होते है
आपकी ना मैं भी  समज होती है
हम तो हमेशा से नासमज़ ही है


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