Sunday 21 July 2013

अजब

आज कुछ अजब हो गया 
मेरा मन अबोल हो गया 
ना दोस्त चाहता हूँ 
ना दुश्मन चाहता हूँ 
बस 
अपने आप से 
 कहना  चाहता हूँ 

आज कुछ गजब हो गया 
मेरा दिल बेगाना  हो  गया 
ना सुर  चाहता हूँ 
ना बोल  चाहता हूँ 
बस 
अपने आप से 
गाना  चाहता हूँ 

आज कुछ अलग हो गया 
मेरा अहम् बेजान हो गया 
ना प्यार चाहता हूँ 
ना गम चाहता हूँ 
बस 
अपने आप से 
मिलना  चाहता हूँ 
मिलना  चाहता हूँ 

Sunday 14 July 2013

सावली

रात्रीला घाबरलो अन दिवसामागे धावलो 
या जीवनाच्या शर्यतीत , स्वार्थामागे लागलो 
 डोंगर चढायच्या नादात 
नेहमीची पायरी  चुकली 
सूर्याकडे बघताना 
माझी सावली हरवली 
  
कसला प्रवास ,  कसले  लक्ष 
मी श्वापद , सगळे भक्ष 
नुसताच धावतोय  एकटा 
सोबत कधीच मारली 
सूर्याकडे  बघताना 
माझी सावली हरवली 

 माझेच मन , माझ्याच इच्छा 
 नात्याच्या या वाटा कच्या 
नवीन क्षितीजापायी 
पायाची माती सांडली 
सूर्याकडे बघताना 
माझी सावली हरवली 

 आज भूतकाळात फिरतोय 
काय काय गमावलं मोजतोय 
अनेक अनोळखी डोळ्यात 
माझी नावे शोधतोय 
सूर्याकडे बघताना 
माझी सावली हरवली 



 



 

Friday 12 July 2013

जख्म

ये  जख्म जो पाए है हमने 

 उनका कोई  जवाब नहीं 

क्यों दिए है ये आपने 

इसका कोई सवाल नहीं 


कब और कहा 

ना  हमे है कोई खबर 

कब  और क्यों 

तुम भी हो बेखबर 


ये दर्द तो अब है साथ 

जैसे कबर पे   रोज नए फुल 

 मर भी गए तो अच्छा  होता 

पर हो गयी जिन्दा  रहने की भूल