ये जख्म जो पाए है हमने
उनका कोई जवाब नहीं
क्यों दिए है ये आपने
इसका कोई सवाल नहीं
कब और कहा
ना हमे है कोई खबर
कब और क्यों
तुम भी हो बेखबर
ये दर्द तो अब है साथ
जैसे कबर पे रोज नए फुल
मर भी गए तो अच्छा होता
पर हो गयी जिन्दा रहने की भूल
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