Friday, 12 July 2013

जख्म

ये  जख्म जो पाए है हमने 

 उनका कोई  जवाब नहीं 

क्यों दिए है ये आपने 

इसका कोई सवाल नहीं 


कब और कहा 

ना  हमे है कोई खबर 

कब  और क्यों 

तुम भी हो बेखबर 


ये दर्द तो अब है साथ 

जैसे कबर पे   रोज नए फुल 

 मर भी गए तो अच्छा  होता 

पर हो गयी जिन्दा  रहने की भूल 




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