दिल को थामा न गया
ये है कुछ शब्दोंकी अदा
ना है इसमे कोई वादा
बात है गुजरे वक्त की
जब किसी की चाह थी
ओठोंपे भी कुछ आह थी
जब होती थी नशा
खाली प्याले को देखकर
आंखोकी थी दशा
उसकी राह देखकर
हाय , क्या कठोर दिल थी वही
गुजरा कल भी वही
आज भी उसे चाहता हूँ
दुवा उसी की मांगता हूँ
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