रातके परदे पे
पल चमका ये गुमसुम
चांदनी के होठोंपे
यादें है तब्बसुम
कल्पना की राहों पर
हवाओंकी है ये बोली
कल के सूरज को
चाँद की है ये डोली
बादलोंके सर पे जो
सपनोंके बंधे सेहरे
हौसलों का बरसा पानी
आशाओंकी कश्तियाँ , खुशियोंके किनारे ----