Friday, 14 June 2013

होंसले


 कल के बारिश  के  होंसले 
 अलग थे 
मेरे भीगने के सपने भी 
अलग थे 

 वोह तो आके 
 बरस के चली गयी 
मगर मेरे भीगने के  सपने 
अधूरे रह गये 

 तेरे साथ वक्त गुजारनेके 
लम्हे भी बहुत थे 
मगर  दास्तानोंके 
किस्से ख़तम ही   नहीं  हुए 

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